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दीप जले


*मीरा सिंह "मीरा"*



दिल से है दिल मिले ,
रिश्तों के दीप जले ।

छंट गया गम का कोहरा,
आंखों में ख्वाब सुनहरा।
तारे उतर आए जमीन पर,
खिला-खिला सबका चेहरा।
खुशियों की रुत आई,
दिलों में प्यार पले।
रिश्तों के दीप जले--

चल रहे साथ-साथ,
हाथों में लेकर हाथ ।
भूलकर शिकवे गिले,
झूम रही है कायनात ।
आंखों से नीर बहा?
मन के सब मैल धुले ।
रिश्तो के दीप जले ------

आंखों से ओझल हुए ,
उनका अभाव खले ।
यादों का एक दीया,
दिल में दिन रात जले।
अमावस की रात आई,
अंबर के छाव तले,
रिश्तो के दीप जले।

*मीरा सिंह "मीरा",डुमराँव,  जिला- बक्सर, बिहार


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