Technology

3/Technology/post-list

एक शिक्षक की प्रतिज्ञा


डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5 सितंबर साल 1962 मे शिक्षक दिवस की शुरुवात हुई। इस दिन विध्यार्थी अपने गुरूओ के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रगट करते है। शिक्षण संस्थाओ मे इसे मनोरंजंक कार्यक्रम के साथ मनाया जाता है।


एक शिक्षक होना आसान नहीं है। शिक्षक बनने की ट्रेनिंग ले लेना एक सर्टिफिकेट पा लेना मात्र नहीं है। एक अच्छे शिक्षक का एक ऐसा आदर्श हो जाना, जो दूसरो को प्रेरित करता रहे, एक साधना है। शिक्षक कई पीढ़ियो को प्रभावित और प्रेरित करने की शक्ति रखता है। शिक्षक की शिक्षा जीवन को दिशा देती है, उसे एक सांचे मे डालती है। यह दिन बहुत मायने रखता है शिक्षक के लिए भी कि वह अपनी शक्ति के प्रति सजग रहे और अपनी भूमिका के लिये संकल्प को दोहराए।


सन 2006 मे शिक्षक दिवस को शिक्षको को सम्मानित करते समय पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम ने शिक्षकों को एक 10 सूत्री प्रतिज्ञा दिलाई थी। यह प्रतिज्ञा हर शिक्षक को आज लेना चाहिये। ये 10 सूत्र इस प्रकार है –



  1. पहला और सबसे महत्वपूर्ण, मैं शिक्षण से प्यार करता हूँ। शिक्षण मेरी आत्मा होगी।

  2. एक शिक्षक होने के नाते मैं जानता हूँ की मैं देश के विकास मे एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा हूँ।

  3. मैं एहसास करता हूँ कि मैं न केवल छात्रो को एक आकार देने के लिए जिम्मेदार हूँ बल्कि इस धरती पर, धरती के नीचे और ऊपर के सबसे शक्तिशाली संसाधन की ज्योत को भी बनाऊँ।

  4. मै अपने आप को एक सक्षम शिक्षक तभी समझूँगा जब मैं औसत छात्र को उच्च प्रदर्शन के लायक बनाउंगा।

  5. मैं स्वय को संयोजित करूँगा और ऐसा आचरण करूँगा कि मेरा जीवन छात्रो के लिए एक संदेश बन जाए ।

  6. मैं अपने छात्रो को प्रश्न पूछने और उत्तर खोजने के लिए प्रोत्साहित करूँगा ताकि पूछताछ करने की भावना विकसित हो सके, और वे रचनात्मक प्रबुध नागरिक के रूप मे खिल सके।

  7. मैं सभी छात्रो से समान व्यवहार करूँगा और धर्म, समुदाय या भाषा के किसी भेदभाव का समर्थन नहीं करूँगा।

  8. मैं लगातार अपनी शिक्षण क्षमता का निर्माण करता रहूँगा ताकि मैं अपने छात्रो को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकूँ।

  9. मै लगातार अपने मन और विचारो को महानता से पूर्ण कर अपने छात्रो मे सोच और कार्य मे सज्जनता फैलाने की कोशिश करूँगा।


10.मैं हमेशा अपने छात्रो की सफलता का उत्सव मनाऊँगा।


क्यों ना शिक्षक दिवस पर हर शिक्षक इस प्रतिज्ञा को दोहराये ताकि वह अपने कर्तव्य को याद रखते हुए उसके निर्वाह को सुनिश्चित करे। यह प्रशिक्षकों के लिए भी प्रासंगिक है वे भी यह प्रतिज्ञा ले और हर वर्ष इसे दोहराते हुये अपने कर्तव्य को निभाते हुये प्रेरणा प्राप्त करे।


 -जमना सुखदेव,इंदौर



Share on Google Plus

About शाश्वत सृजन

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें