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बजट 2020 में किसान, नौकरी पेशा को राहत देने की कोशिश


नई दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में महंगाई, बेरोजगारी और मंदी से निपटने के प्रभावी इंतजाम किए जाने की जितनी उम्मीद की गई थी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस दूसरे बजट में साफ तौर पर इन बढ़ी समस्याओं के निदान के तत्काल असर करने वाले उपाय नहीं दिख  रहा है।


 

मध्य वर्ग और नौकरी पेशा लोागों को टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद पूरी हुई है। सरकार मेक इन इंडिया से असेंबल इन इंडिया की तरफ बढ़ने की बात कह रही है। बजट में अब पांच मॉडल शहर पीपीप मॉडल में विकसित करने का सपना है, ऐसा ही सपना स्मार्ट सिटी का भी पूर्व में दिखाया जा चुका है, जो जमीन पर नहीं उतर पाया है।

नए शिक्षण संस्थानों, स्किल संस्थानों के लिए बजट की बात है और किसानों को बाजार और उनके प्रोडक्टस को ऑनलाइन और इंटरनेशनल बाजार तक पहुंचाने की भी बात है। लेकिन उद्योग और बाजार के लिए यह बजट खुशी की खबर लाने वाला नहीं लग रहा है, इसका नतीजा सेंसेक्स के बजट भाषण के दौरान ही करीब 600 अंक लुढ़कने और निफ्टी में भी करीब 200 अंक की गिरावट से अंदाज लगाया जा सकता है। कई मामलों में यह बजट आगे पाठ पीछे सपाट वाला है।     

मध्य और नौकरीपेशा वर्ग को फायदा
वित्त मंत्री का करीब पौने तीन घंटे का बजट भाषण शुरू हुआ तो किसान और खेती की बेहतरी के लिए प्रस्तावित कदमों से हुआ और सेहत, शिक्षा, निवेश से गुजर पोषण, एससी एसटी ओबीसी की बेहतरी के बजट बढ़ोत्तरी से गुजरकर जब आयकर दरों पर आया तो मध्य वर्ग खासकर नौकरी पेशा समुदाय ने राहत की सांस ली।

पांच लाख रुपए तक की आय वालों को आयकर से छूट से इस वर्ग को वाकई प्रसन्नता हुई होगी। हालांकि इससे आगे के जो स्लैब हैं उनमें पांच से साढ़े सात लाख तक 10 फीसदी, साढ़े सात से 10 लाख तक पंद्रह फीसदी, 10 से साढ़े 12 लाख तक 20 प्रतिशत और साढ़े 12 लाख से 15 लाख तक सालाना आय पर 25 फीसदी और उससे ऊपर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया है। ऊपरी आय वाले वर्ग में पहले भी ज्यादा टैक्स वसूले जाने को लेकर नाराजगी थी, यह अब और बढ़ सकती है। 

 


 

निजीकरण में अब एलआईसी की बारी  
सरकारी उपक्रमों के विनिवेश के सिलसिले को मोदी सरकार जारी रखेगी। यह बजट में भी दिख गया है। बीएसएनल के बाद एलआईसी की बारी आने की आशंका को बजट में सच साबित कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने भारतीय जीवन बीमा निगम में अपनी भागीदारी घटाने की बात कही है। इससे लगता है भविष्य में रेलवे भी इसी रास्ते जा सकता है। 

 

सेहत की चिेता का अगला चरण स्वागत योग्य 
लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं और पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त देने की जारी योजनाओं के आगे इस बजट में सरकार ने मेडिकल कॉलेजों से जिले के एक अस्पताल को पीपीपी मोड के तहत जोड़कर भविष्य के लिए अच्छा सोचा है, क्योंकि स्वास्थ्य की योजनाओं में डॉक्टरों की कमी खासकर जिलों और उससे निचले स्तर पर खासी चिंताजनक बनी हुई है। 

स्वच्छता और जलशक्ति पर फोकस 
खुले में शौच से मुक्ति के आगे सरकार ने अब इसे बरकरार रखने के लिए ओडीएफ प्लस की घोषणा की है, इसका मकसद इसे बनाए रखने की है, लेकिन असल में ओडीएफ यानी खुले में शौच में मुक्ति की जहां जहां घोषणा हो चुकी है, वहां भी यह कई जगह पूरी तरह हुआ नहीं है। इसके लिए 12 हजार 300 करोड़ रुपए का बजट दिया जाएगा। केवल कागज पर अमल हुआ है। इसकी मॉनिटरिंग जरूरी है। जलशक्ति मिशन के लिए भी फोकस किया गया है। पानी के संकट वाले सौ जिलों में ज्यादा ध्यान देने का वादा किया गया है। 

राज्य सरकारों को केंद्र के कानून लागू करने पर ही मिलेगा फायदा 
बजट में वित्त मंत्री ने किसानों से जुड़ी योजनाओं की घोषणाओं से पहले मानो डिस्क्लेमर ही लगा दिया कि जो राज्य सरकारों बीते तीन चार साल में किसानों के हित में बनाए गए कानून और योजनाएं लागू करेंगी उन्हें इन नई प्रस्तावित योजनाओं का लाभ मिलेगा।

किसानों को अपनी बंजर जमीन में सोलर यूनिट लगाने पर अतिरिक्त बिजली ग्रिड में डालकर आय कमाने का मौका और अपनी जमीन पर वेयरहाउस बनाने की योजना में भी आय का मौका रहेगा। गांव में ही भंडारण के लिए धान्य लक्ष्मी योजना भी काबिले तारीफ है। किसानों के उत्पाद के लिए विशेष कोल्ड स्टोरेज ट्रेन और हवाई सेवा भी महत्वपूर्ण कदम माने जाने चाहिए। हर जिले में एक्सपोर्ट हब की भी घोषणा की गई है। 

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