*अरविन्द शर्मा
ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ।
देश की कमान को रहीं संभाल बेटियाँ।।
ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ।
गगन पे नाम लिख रहीं, ये धरा की बेटियाँ।
घर से ले समाज तक करें कमाल बेटियाँ।।
ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ।
दिशा सभी को दे रहीं, पढ़ी लिखीं ये बेटियाँ।
सरहदों का रख रहीं हैं, अब ख्य़ाल बेटियाँ।।
ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ।
भाग्य अपना लिख रहीं, अपनी कलम से बेटियाँ।
हर तरफ हैं दिख रहीं, करती धमाल बेटियाँ।।
ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ।
जन्म से ही मानते हैं क्यों पराई बेटियाँ।
आज के समाज से, करतीं सवाल बेटियाँ।।
ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ, ये बेटियाँ।
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