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कोरोना की जंग में वास्तव हीरो हैं लैब टेक्नीशियन



*सुषमा दिक्षित शुक्ला


विश्व में कोरोनावायरस महा युद्ध  मे सिपाही की भूमिका निभाने वाले असली हीरो लैब टेक्नीशियन को जरूर मानना चाहिए , जैसे मोती के हार पीछे धागे की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है सारे मोती उसी पर शोभायमान होते हैं और प्रसंशा के मात्र बनते है बिचारे धागे को तारीफ कोई भी नही करता बस कुछ उसी तरह इनका भी चिकित्सा क्षेत्र मे महत्व है वर्तमान चिकित्सा पद्धति प्रयोगशाला जांच पर आधारित है ,ऐसे मे लैब टैक्नीशियन का रोल काफी महत्व पूर्ण है या यूँ भी कह सकते है कि वह चिकित्सा प्रणाली की प्रथम कड़ी हैं, क्योंकि जांच के आधार पर ही पूरी चिकित्सा आधारित होती  है। लैब टैक्नीशियन मरीज के अति निकट जाकर उसके रक्त मल मूत्र  आदि एकत्रित कर जांच करने की जिम्मेदारी  निभाता है ,ऐसे मे वायरस या बैक्टीरिया की चपेट मे आने का खतरा तो लैब टैक्नीशियन को सर्वाधिक रहता है ।टेक्नी शियन  शारीरिक पदार्थों के सैंपल लेते हैं इकट्ठे करते हैं उनके नमूने सही समय पर टेस्ट करने की उनकी जिम्मेदारी तो रहती ही है सही समय पर रिपोर्ट तैयार करना एवं सही समय पर मरीज को देना ताकि उसका सही समय पर इलाज हो सके चाहे वह माइक्रोबायोलॉजी टेस्टिंग हो या बायो केमिस्ट्री के टेस्ट  लैब में जाकर उनको माइक्रोस्कोप के जरिए परीक्षण करना होता है ।सही समय पर जांच की रिपोर्टिंग भी उनकी बड़ी जिम्मेदारी होती है इसी के आधार पर सही समय पर ट्रीटमेंट किया जाता है इन सब प्रायोगिक विधियों के दरमियान वास्तव में वायरस या बैक्टीरिया के प्रभाव में आने का खतरा सबसे ज्यादा उनके लिए ही होता है और जिम्मेदारी भी बहुत बड़ी अगर सही समय पर लापरवाही से गलत रिपोर्ट बन जाए तो मरीज को भी ठीक नहीं कर सकते तो टेक्नीशियन का रोल महत्वपूर्ण वाकई है हम यह जरूर कह सकते हैं कि हमारे लैब टेक्नीशियन असली हीरो है जो सबसे ज्यादा अपने जीवन को खतरे में डालकर मरीजों की जांच रिपोर्टिंग करते हैं रिपोर्ट पहुंचाते हैं इस  समय असली हीरो लैब टेक्नीशियन ही है ,क्योंकि वह अपने जीवन को दांव पर लगाकर अपने कर्तव्य परायणता में लगे हुए हैं राष्ट्र हित के लिए मानवता की रक्षा के लिये अपने प्राणों की बाजी लगाई हुई है ।


*सुषमा दिक्षित शुक्ला


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