*रामगोपाल राही
आदमी जीवन का उत्थान कर इंसान से भगवान बन सकता है , इस बात को मानवता के प्रणेता गौतम बुद्ध के जीवन से सहजता से समझा जा सकता है | गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसवी पूर्व राजा शुद्धोधन के घर माता महामाया गर्व से नैहर जाते समय रास्ते में हुआ था हुआथा | गौतम बुद्ध की मां महामाया की मृत्यु गौतम बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद हो गई थी | गौतम बुद्ध को महारानी की छोटी बहिन गौतमी ने पाला | गौतम गोत्र होने में जन्म होने से गौतम कहलाए शिशु अवस्था में बुध्द का नाम सिद्धार्थ रखा गया था जिसका अर्थ - वह जो सिद्धि प्राप्ति के लिए जन्मा हो | बाद में एक साधु ने भी गौतम बुद्ध के बारे में. भविष्यवाणी कि बालक महान राजा अथवा दुनिया को राह दिखाने वाला पवित्र व्यक्ति बनेगा |बुद्ध बचपन से ही दयालु प्रवृत्ति के थे बचपन में खेलों में हारना पसंद करते थे बचपन से ही इनकी धारणा किसी को हराना मतलब किसी के दिल को दुखी करना इनसे नहीं देखा जाता था |एक समय सिद्धार्थ के चचेरे भाई देव दत्त के तीर से. हंस घायल हो गया उस घायल हंस को उठाकर गौतम बुद्ध ने उसके प्राण की रक्षा की |
मानवता के प्रणेता गौतम बुद्ध काफी शिक्षित थे, इन्होंने अपने गुरु से वेद ,उपनिषद,का ज्ञान प्राप्त किया | राजकाज व युद्ध विद्या सीखी बताया जाता है घुल सवारी तीर कमान रथ हांकने में कोई इन की बराबरी नहीं कर सकता था | आगे चलकर बुद्ध कीे वैराग्य की ओर प्रवृति हो गई | इस पर चिंतित पिता ने इनका विवाह कर दिया |बुद्ध का विवाह यशोधरा के साथ हुआ था,| पिता ने इनकी वैराग्य वृर्ती देख रितु अनुरूप वैभवशाली महल बनवाए | बुध्द यशोधरा के साथ महल में रहने लगे |इस दौरान यशोधरा ने पुत्र राहुल को जन्म दिया | "जिन का मन वैराग्य में रमा हो उन्हें महलों के सुख नहीं सुहाते |"यही हुआ आगे चलकर सुविधा युक्त राज महल राज पाट सुख सुविधा छोड़ वन की ओर निकल गए |गौतम बुद्ध को महलों का कोई भी सुख बाँध नहीं रख सका |
वन जाने से पहले चार घटनाएं ऐसी घटी. जिनका इनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा | यह अपने बगीचे में सैर कर रहे थे तभी इन्हें बगीचे के निकट रास्ते में जाता हुआ बूढ़ा आदमी मिला उसके दांत टूटे थे बाल सफेद हो गये थे हाथ में लाठी पकडे कांपता धीरे धीरे चल पा रहा था | उसे देख यह चिंतन करने लगे इनका चिंतन चलता रहा | फिर कुछ दिनों बाद बाद में बगीचे की सैर करते समय दूसरी बार इनको रोगी नजर आया उसे तेजी से श्वास चल रही थी कंधे ढीले बाहें सूखी सूखी चेहरा पीला था , दूसरे के सहारे चल रहा था | यह उसे देख बड़े सोच में पड़ गए तीसरी बार भी जब सैर को निकले तो रास्ते में सामने लोग अर्थी ले जा रहे थे | उसके पीछे लोग रो रहे थे कोई छाती कूट रहे थे इन घटनाओं नेबुध्द के मन को विचलित कर दिया यह चिंता में डूब गए |
यह अपने आप से कहने लगे, धिक्कार है जवानी को जो जीवन को सोख लेती है धिक्कार है स्वास्थ्य को जो शरीर को नष्ट कर देता है| इसी तरह की सोच के चलते इन सब को देख बुढ़ापा बीमारी और मौत के बारे में निरंतर सोचने लगे |इन सभी के चलते एक बार फिर चौथी बार जब सैर को निकले तो उन्हें एक संन्यासी मिला संसार की भावनाओं और कामनाओं से मुक्त प्रसन्न चित्र संन्यासी ने इनको बहुत आकृष्ट किया |इसी के चलते इन सभी के चलते बुद्ध काफी चिंतन करते रहे और एक दिन सुविधा युक्त राज महल राज पाट छोड़ विरक्त हो गए | सुंदर पत्नी को छोड़ महलों की सुविधाओं को छोड़ दुध मुँहे बालक राहुल को छोड़ बुद्ध तपस्या के लिए वन की ओर निकल पड़े |सबसे पहले राज गृह पहुंचे भिक्षा मांगी ,इसी दौरान घूमते घूमते बुध्द ने योग साधना समाधि लगाना सीखा |पहले कुछ खा पी कर फिर आहार लेना बंद कर दिया तपस्या में शरीर कांटा हो गया , तपस्या निष्फल हो गयी | इस दौरान जहाँ यह चिंतन में बैठे थे, संयोग वहां से कुछ स्त्रियां गीत गाते हुए निकल रही थी | गीत का स्वर इनके कानों में पड़ा गीत के बोल थेे वीणा के तारों को ढीला छोड़ोगे स्वर नहीं निकलेगा ,ज्यादा कसोगे टूट जाएंगे , सिद्धार्थ ने स्वीकारा बात सही है | गौतम अब नियमित आहार लेने लगे और तपस्या करते रहे | एक दिन बुद्ध पीपल वृक्ष के नीचे आसन लगा ध्यान मग्न बैठे थे | पास में बस्ती में सुजाता नाम की स्त्री को पुत्र हुआ उसने बेटे के लिए वृक्ष से मनौती मांगी थी |वह मनौती पूरी करने के लिए सोने के थाल में गाय के दूध की खीर भरकर लाई ध्यान में बैठे बुद्ध के सामने उसने यह सोच खीर का कटोरा रख दिया |सोचा कि वृक्ष ही सशरीर पूजा लेने हेतु बैठे हैं | सुजाता ने कहा जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई उसी तरह आपकी भी मनोकामना पूरी हो |
सुजाता की इस खीर केबाद और उसके बोल पर मनन करने पर उसी रात बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हो गया | ज्ञान मिल गया साधना सफल हुई तभी से सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए | जिस पीपल वृक्ष के नीचे उन्हें बोध मिला आज भी बोध गया में लोगों को मानवता के प्रणेता गौतम बुद्ध की याद दिलाता है |
उस समय देश काल की कट्टरता की सोच के कारण इन के द्वारा के द्वारा सहज बौद्ध धर्म का जन्म हुआ |इन्होंने मध्यम मार्ग का उपदेश दिया और कहा बताया दुख आते हैं दुख के कारण होते हैं और दुख का निवारण भी हो जाता है |इनका बताया अष्टांगिक मार्ग है | गौतम बुध्द ने अहिंसा पर जोर दिया इन्होंने पशु बलि की निंदा की |इनकी शिक्षा-दीक्षा में ध्यान तथा अंतर्दृष्टि मध्यम मार्ग के अनुसार चार आर्य सत्य अष्टांग मार्ग में निहित है | माना जाता है गौतम बुद्ध के उपदेश किसी खजाने से कम नहीं | गौतम बुद्ध के पाँच उपदेश बड़े महत्व पूर्ण समझे जाते रहे हैं | हिंसा मत करो, चोरी मत करो, दुराचरण से दूर रहो, झूठ मत बोलो ,मादक पदार्थों का सेवन मत करो |
इनके बताए चार आर्य सत्य ,दुनिया में सब कुछ दुख है , दुख का आरंभ तृष्णा है , तृष्णा से मुक्ति पायी जा सकती है , दुख निवारण अष्टांग है |सम्यक द्दष्टि, सम्यक वाक, सम्यक संकल्प, सम्यक कर्म, सम्यक जीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति ,सम्यक समाधि | गौतम बुद्ध का कहना था भूत काल में मत उलझो भविष्य के सपने मत देखो, वर्तमान पर ध्यान दो | संदेह ठीक नहीं संदेह से मित्रता टूटती है |
बुध्द के जीते जी बौध्द धर्म का काफी विस्तार हो गया था, कई लोग बौध्द के अनुयायी हो गए थे | गौतम बुद्ध अपने उपदेश बड़ी सहजता हर किसी जगह दे देते थे | गौतम बुद्ध के दिव्य ज्ञान व तेज के आगे अँगुलीमाल जैसा डाकू हत्यारा भी इनके सामने नत मस्तक हो गया था |
बुद्ध का जन्म नेपाल में हुआ था मगर ज्ञान भारत में मिला बौद्ध धर्म यहीं भारत में जन्मा |आज बौद्ध धर्म के अनुयाई चीन जापान नेपाल श्रीलंका कई देशों में और भी कई देशों में है |मानव कल्याण की दृष्टि से गौतम बुद्ध के उपदेश बहुत उपयोगी समझे जाते हैं | बुद्ध भगवान की गिनती चौबीस इलाकों में अवतारों में मानी जाती है|
*रामगोपाल राही, लाखेरी,जिला बूँदी (राज)
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