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विश्व पशु कल्याण दिवस


*डॉ अरविन्द जैन*
हमारा देश इंडिया जिसे भारत कहना उचित हैं में कल महात्मा गाँधी जी की 150 वां जन्म दिवस बहुत धूमधाम से मनाया गया.इस दिवस को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं कारण भगवानराम ,कृष्णा ,महावीर बुद्ध ,आदि ने अहिंसा को प्रतिपादित किया .महात्मागांधी के क्रियानवयन किया और गाँधी जी के बाद हमारी सरकारों ने गाँधी जी के सिद्धांतों पर अमल कर इतने अधिक बूचड़ खाने खोले ,अण्डों का उत्पादन बढ़ाया मांस निर्यात में विश्व में प्रथम  और अग्रणी  और चमड़ा उद्योग चरम पर .वास्तव में गाँधी जी आज के दिन में अत्यंत प्रसन्न हो रहे होंगे .गाँधी जी के सिद्धांतों पर अमल  शून्य हैं और चर्चा कर उनका नाम भुनाने की प्रतियोगिता बहुत हैं .
आज मानव की सुरक्षा नहीं हैं तब निरीह जानवरों की और किसका ध्यान हैं ,मात्र कागज़ों में और कही नहीं .पशु पक्षी ,जानवर ,मानव, प्रकृति ,पेड़ पौधें ,नदियां नालें हमारे जीवन के लिए पूर्ण उपादेय हैं जिनको विकास के नाम पर नष्ट कर उनकी कब्र पर विनाश की गगनचुम्बी इमारतें निर्मित की जा रही हैं .पशु कल्याण की आज बहुत अधिक जरुरत हैं।
विश्व पशु कल्याण दिवस एक अन्तराष्ट्रीय दिवस है जोकि प्रतिवर्ष 4 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिन असीसी के सेंट फ्रांसिस का जन्मदिवस भी है जोकि जानवरों के महान संरक्षक थे. इस दिवस का आयोजन 1931 ईस्वी परिस्थितिविज्ञानशास्रीयों के सम्मलेन में इटली के शहर फ्लोरेंस में शुरू हुआ था. इस दिवस का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधो को मजबूत करना था. साथ ही पशुओ के कल्याण के सन्दर्भ विश्व पशु कल्याण दिवस का आयोजन करना था.
विश्व पशु कल्याण दिवस का उद्देश्य
विश्व पशु कल्याण दिवस का मूल उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना, और व्यक्तियों,समूह, और संगठनों  का समर्थन प्राप्त करना और जानवरों के प्रति प्यार प्रकट करना ताकि उनका जीवन सक्षम और बेहतर हो सके. इस कारण से यह दिवस “पशु प्रेमी दिवस” के रूप में जाना जाता है. यद्यपि यह एक बेहतरीन दिवस विश्व भर के लोगो का जानवरों के प्रति प्यार प्रकट करने का महत्वपूर्ण दिवस है, लेकिन इस दिवस के उजागर होने के पीछे भी कई कारण जिम्मेदार हैं. इन सभी तथ्यों में जानवरों के प्रति प्रकट किये जाने वाले घृणास्पद व्यवहार, आवारा कुत्तों और बिल्ल्लियों के प्रति व्यवहार, उनका अमानवीय व्यापार आदि भी प्रमुख कारण थे. इसके अलावा किसी प्राकृतिक आपदा के समय भी इन जानवरों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था और उनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जाती थी.
विश्व पशु कल्याण दिवस समारोह
विश्व पशु कल्याण दिवस वास्तव में एक महत्वपूर्ण दिवस है. यह विविध माध्यमों से हमें कई चीजो को याद दिलाता है जिसमे जानवर हमारे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करते हैं. इस दिवस को ढेर सारे दिवसों का आयोजन किया जाता है. अर्थात जैसे विश्व पशु कल्याण अभियान, पशुओं के लिए बचाव आश्रयों का उद्घाटन, और फंड जुटाने से सम्बंधित कार्यक्रमों का आयोजन इत्यादि. इसके अलावा स्कूल और कालेजों में भी वन्य जीवों से जुडी ढेर सारी जानकारियों को टीवी और कंप्यूटर के माध्यम से साझा किया जाता है. इसके अलावा कई संगठनों के द्वारा जानवरों के लिए आश्रय के निर्माण का कार्यक्रम भी को स्वयंसेवको के द्वारा प्रायोजित किया जाता है.
पशु कल्याण के लिए कानून
पशु कल्याण के लिए अनेकों कानूनों और अधिनियमों की भी व्यवस्था की गयी है. जैसे- "पशु क्रूरता अधिनियम 1835"  जोकि विश्व में जानवरों के सन्दर्भ में प्रथम अधिनियम है जिसकी स्थापना ब्रिटेन में की गयी थी. इसके पश्चात "पशु संरक्षण अधिनियम 1911" प्रकाश में आया. जिसके परिणामस्वरूप जानवरों की रक्षा के लिए "पशु कल्याण अधिनियम, 1966"  नामक अमेरिकी राष्ट्रीय क़ानून प्रकाश में आया. भारत में, पशुओं की सुरक्षा के लिए “जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम 1966" को लाया गया.
यह वर्ष 1965 का समय था जब ब्रिटेन सरकार नें जानवरों के कल्याण के लिए एक जांच अभियान शुरू किया था. इस अभियान के प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर रोजर ब्राम्बेल थे. यह अभियान रुथ हैरिसन की किताब “एनिमल मशीन” में उठायी गयी चिंताओं ध्यान में  रखते हुए शुरू किया गया था. इस किताब क प्रकाशन 1964 में किया गया था. इस सन्दर्भ में प्रोफेसर रोजर ब्राम्बेल नें अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस रिपोर्ट के आधार पर ब्रिटेन की सरकार नें सन 1967 में “एनिमल वेलफेयर एडवाइजरी समिति” की स्थापना की. बाद में यह समिति वर्ष 1979 “फार्म एनिमल वेलफेयर कौंसिल” में परिवर्तित हो गयी. इस समिति के प्रथम दिशा-निर्देशों के अनुसार यह कहा गया कि सर्वप्रथम जानवरों को सोने और खड़े होने की स्वतंत्रता होनी चाहिए. साथ ही उन्हें घुमाने और विचरण करने की भी स्वतंत्रता होनी चाहिए. इसके अलावा भी इस समिति नें कुछ दिशा-निर्देशों को दिया जिसे फाइव फ्रीडम के नाम से भी जाना जाता है.
ब्रिटेन में, 'पशु कल्याण अधिनियम 2006 " नें पशु कल्याण के सन्दर्भ में अनेक समेकन का कार्य किया. इसके बाद अनेक संगठनों नें यूनाइटेड नेशंस (पशु कल्याण पर एक सार्वभौम घोषणा) के दिशा-निर्देशों के अधीन अनेक अभियानों को प्रारंभ किया. नैतिकता की दृष्टि से, संयुक्त राष्ट्र नें अपने सार्वभौम घोषणा में पशुओ के दर्द और पीड़ा के सन्दर्भ में उन्हें संवेदनशील प्राणी के रूप में पहचान देने की बात की. इसके पश्चात उसने यह भी कहा की जानवरों के सन्दर्भ में किये जाने वाले सभी कल्याणकारी कार्य समाज सेवा के रूप में हैं. इसे न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी फैलाया जाना चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति के कर्तव्यों में शामिल किया जाना चाहिए. पशुओ के कल्याणकारी कार्यों के सन्दर्भ में किये जाने वाले कार्य विविध महत्वपूर्ण संगठनो के सहयोग से किया जाना चाहिए. साथ ही ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल का भी सहयोग लिया जाना चाहिए.
 पशुओं को भी समानता का जीने का अधिकार दो 
हम उनके लिए क्या करते हैं ?और वे हमें क्या क्या नहीं देते ?
वे बेचारे क्या खाते हैं ?हरी भरी घास पत्ती
हम उन बेचारों को खाते हैं ,शिकार बनाते हैं 
बहुत होगया गाँधी जन्म दिवस ,बंद करो यह नाटक ,खाना पूर्ती 
यदि नहीं चल सकते हो उनके और पूर्वजों के सिद्धांतों पर 
भाषण ,उदघाटन ,प्रदर्शनी से क्या होगा ?
उनको जीवन में चरित्र में उतारना होगा .



*डॉ अरविन्द प्रेमचंद जैन,संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड ,भोपाल 462026  मोबाइल 09425006753


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