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डाक विभाग की सुगन्धित पहल:अब डाक टिकटों से आएगी इत्र की सुगंध  

ऊद और नारंगी फूल पर आधारित चार सुगंधित डाक टिकट हुए जारी


यूँ मेरे खत का जवाब आया, लिफाफे में एक गुलाब आया...... खुशबू भरे खत भेजने और पाने की चाह किसे नहीं होती। खुशबू भरे खतों पर कवियों और शायरों ने बहुत कुछ लिखा है पर भारतीय डाक विभाग ने खुशबू वाले डाक टिकट जारी कर मानो लोगों की कल्पनाओं को ही मूर्त रूप दे दिया। अब लोगों को अपने चाहने वालों के लिए लिफाफे में कोई फूल या सुगंध रखकर भेजने की जरूरत नहीं बल्कि लिफाफे पर लगा डाक टिकट दूर से ही अपनी खुशबू से बता देगा कि अब इन्तजार की घडियाँ खत्म हो चुकी हैं।

डाक टिकट तो हम सभी ने देखें होंगे, पर यदि डाक टिकटों से खुशबू आती हो तो उसका आनंद ही कुछ और बढ़ जाता है। इसी कड़ी में डाक विभाग ने इत्र की सुगंध वाले डाक टिकट जारी किये हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एवं लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, डाक विभाग ने भारतीय इत्र विषय पर ऊद (Agarwood) और नारंगी फूल (Orange Blossom) पर आधारित चार सुगंधित स्मारक डाक टिकट जारी किये हैं। डाक टिकट का कागज तैयार करते समय ही उसमें इत्र का अर्क मिला देने से यह सुगंध लम्बे समय तक बनी रहेगी। प्रति डाक टिकट 25 रूपये के हिसाब से इन चार डाक टिकटों के एक सेट की कीमत 100 रूपये है। यह डाक टिकट विभिन्न फिलेटली ब्यूरो और प्रधान डाकघरों में भी बिक्री के लिए उपलब्ध है।
 
डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि भारतीय डाक विभाग इससे पहले 13 दिसम्बर 2006 को चंदन की सुगंध वाला एक डाक टिकट (15 रुपए),  7 फरवरी 2007 को गुलाब की सुगंध वाले चार डाक टिकट (5 और 15 रुपए) एवं 26 अप्रैल 2008 को जूही की सुगंध वाले दो डाक टिकट  (5 और 15 रुपए) और 23 अप्रैल, 2017 को कॉफी की सुगंध  वाले डाक टिकट (100 रुपए) जारी कर चुका है। भारतीय इत्र पर जारी डाक टिकट इस श्रेणी में पाँचवाँ  सुगन्धित डाक टिकट है। डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव  यादव ने बताया कि वर्ष 1973 में सुगन्धित डाक टिकट जारी करने वाला पहला देश  भूटान बना था और फिर न्यूजीलैंड, थाईलैंड और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों ने भी सुगन्धित डाक टिकट जारी किए। भारत ने अपना पहला खूशबूदार डाक टिकट वर्ष 2006 में चंदन पर जारी किया।


डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाक विभाग द्वारा समय-समय पर जारी नियमित डाक टिकटों के विपरीत ये सुगन्धित  डाक टिकट, स्मारक डाक टिकटों की श्रेणी के तहत जारी किये गये हैं। यही कारण है कि इन डाक टिकटों का पुनर्मुद्रण नहीं हो सकता और डाक टिकट संग्राहकों हेतु यह एक अमूल्य और रोचक निधि बन गया है। इन डाक टिकटों के प्रति फिलेटलिस्ट के अलावा युवाओं में भी काफी क्रेज होता है, जो अनूठी चीजों को अपने कलेक्शन का हिस्सा बनाना चाहते हैं।

गौरतलब है कि, ऊद या अगरवुड की खुशबू तीखी मीठी, सुगन्धित काष्ठ की परत और गहरी नजाकत से सजी होती है। ऊद दुनिया के सबसे कीमती इत्रों में गिना जाता है। वर्तमान में ये वृक्ष भारत सहित बांग्लादेश, भूटान, थाईलैंड, वियतनाम जैसे देशों में खूब पाए जाते हैं।  वहीं, ऑरेंज ब्लॉसम यानी नारंगी फूल की खुशबू काफी मीठी और मनमोहक होती है।  पारम्परिक रूप से इसे सौभाग्य का सूचक मन गया है और विवाह के दिन दुल्हनें इसका बड़े शौक से इस्तेमाल करती हैं। आज भारत, ब्राजील और चीन में नारंगी वृक्षों को बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।  


 

 

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