लघुकथा संग्रह प्रवाह के विमोचन समारोह में बोलीं पद्मश्री मालती जोशी
इंदौर। जानी-मानी लेखिका पद्मश्री मालती जोशी ने कहा है कि जो इंदौर कभी अपने नमकीन के लिये देश भर में जाना जाता था वह स्वच्छता के मामले में नंबर वन बना। वहीं इंदौर अब साहित्य और लघुकथा के लिए प्रसिद्ध होने जा रहा है। भविष्य में इंदौर लघुकथा के गढ़ के रूप में जाना जाएगा।
मालतीजी मंगलवार को यहां 21 लघुकथाकारों की लघुकथाओं के संग्रह प्रवाह के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थीं। विचार प्रवाह साहित्य मंच, इंदौर के बैनर तले मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के शिवाजी सभागार में यह समारोह आयोजित किया गया था।
समारोह की अध्यक्षता भोज शोध संस्थान, धार के निदेशक डाॅ दीपेंद्र शर्मा ने की। विशेष अतिथि और चर्चाकार के रूप में जानी-मानी लघुकथाकार श्रीमती मीरा जैन (उज्जैन) मौजूद रहीं।
पद्मश्री जोशी ने कहा कि लघुकथा का मुख्य लक्षण अपनी बात को छोटे रूप में लोगों तक पहुंचाना है । तीक्ष्णता से अपनी बात सबके समक्ष प्रस्तुत करना । जैसे आजकल ट्वेंटी-ट्वेंटी का ज़माना है वैसे ही लघुकथा भी अब ऐसे ही हो गयी है और अति लघुता की ओर जा रही है ।
डॉ दीपेन्द्र शर्मा ने कहा कि लेखकों का संग्रह व्यक्तिगत चेतना को सामूहिक चेतना में बदल देता है। एक लेखक को विवादास्पद या प्रसिद्ध होने के स्थान पर ऐसा लिखना चाहिए कि उनके विचार और लेखन सदैव याद किए जाएं। सूर और तुलसी इसी श्रेणी के सृजनकर्ता रहे इसीलिए वे अमर रचनाकार बन गए।
श्रीमती मीरा जैन ने कहा कि लघुकथा साहित्य उपवन में खिला एक खूबसूरत पुष्प है जिसके प्रति साहित्य प्रेमियों के आकर्षण में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है । लघुकथा की लघुता ही इसकी प्रमुख विशिष्टता है । लघुकथा का ताना बाना कसा हुआ हो तो ही पाठको के ह्रदय तक पहुंचेगा । लघुकथा का अपना एक नैसर्गिक सौंदर्य होता है । उन्होंने 21 लघुकथाकारो के लघुकथा संकलन प्रवाह में से अनेक लघुकथाओं की सटीक समीक्षा भी की। उपरोक्त लघुकथा संग्रह का संपादन श्रीमती सुषमा दुबे ने किया है। सह संपादक श्री देवेन्द्र सिंह सिसौदिया एवं मुकेश तिवारी हैं।
समारोह में स्वागत भाषण विचार प्रवाह साहित्य मंच, इंदौर की अध्यक्ष श्रीमती सुषमा दुबे ने दिया। सचिव डाॅ दीपा मनीष व्यास ने विचार प्रवाह के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सरस्वती वंदना डाॅ पूजा मिश्रा ने की। अतिथियों का स्वागत उपाध्यक्ष विजय सिंह चौहान, संध्या राय चौधरी, अर्चना मंडलोई, मनीष व्यास आदि ने किया। संचालन मुकेश तिवारी ने किया।आभार महासचिव देवेन्द्र सिंह सिसौदिया ने माना।
इस मौके पर सभी 21 लघुकथाकारों को सम्मानित भी किया गया। मंच के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य सर्वश्री हरेराम वाजपेयी, नरेन्द्र मांडलिक, प्रदीप नवीन, संतोष मोहंती, श्रीमती पदमा राजेंद्र का भी इस मौके पर अभिनंदन किया गया। प्रवाह संग्रह का मुखपृष्ठ सजाने वाली तृप्ति त्रिवेदी और प्रतीक चिन्ह सज्जा करने वाली देव्यानी व्यास का भी सम्मान हुआ। प्रवाह संग्रह में श्रीमती माया बदेका, कुमुद दुबे, अंजू निगम, मीना गौड़, कुमुद मारू, सुषमा व्यास, देवेंद्रसिंह सिसौदिया, अर्चना मंडलोई, वंदना पुणतांबेकर, मित्रा शर्मा, सुषमा दुबे, विजयसिंह चौहान, डाॅ. ज्योति सिंह, रश्मि चौधरी, मुकेश तिवारी, डाॅ दीपा मनीष व्यास, आरती चित्तौड़ा, डाॅ पूजा मिश्रा, माधुरी शुक्ला, अदिति सिंह भदौरिया और अविनाश अग्निहोत्री आदि की लघुकथाएं शामिल हैं।
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